90 हजार मतदाताओं वाली विस्तृत भागोलिक क्षेत्रफल में फैली यमकेश्वर सीट पर कॉटे की टक्कर, त्रिकोणीय स्थिति बना रही है यूकेड़ी
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यमकेश्वरः चीला से लेकर लक्ष्मणझूला, स्वर्गाश्रम, से शुरू होने वाली, व्यास चट्टी से सीमा बनाती हुई, दुगड्उा के गाड़ीघाट तक फैली विधानसभा में तीन ब्लॉेक यमकेश्वर, द्वारीखाल, और दुगड्डा ब्लॉक आते हैं। 90 हजार मतदाताओं वाली सीटी में जहॉ 90638 मतदाता रजिस्टर्ड हैं, जिनमें 42,075 महिला मतदाता और, 46467 मतदाता और सर्विस वोटर 2214 तथा दो थर्ड जैंडर मतदाता है। इस विधानसभा में 167 मतदान केन्द्रों में 14 फरवरी 2022 को मतदान होना है।
पिछले चार चुनावों को देखा जाय तो 2002 में जहॉ बीजेपी से बिजया बड़थ्वाल को प्रत्याशी बनाया गया वहीं काग्रेंस ने सरोजिनी कैंतुरा को प्रत्याशी बनाया। 2002 में काग्रेंस से दिगम्बर कुकरेती बागी हो गये और अतिंम चुनावी नतीजों में बिजया बड़थ्वाल ने बाजी मार ली। बीजेपी से बिजया बड़थ्वाल को उस समय 1447 मतों से विजय घोषित हुई। 2007 के चुनाव में बीजेपी ने अपने जीते हुए प्रत्याशी पर दावं खेला और काग्रेस ने चेहरा परिवर्तन कर रेणू बिष्ट को उम्मीदवार बनाया। इस बार भी दिगम्बर कुकरेती बागी हो गये और दिगम्बर कुकरेती को दूसरी बार 4902 मत मिले और रेणू बिष्ट और बिजया बड़थ्वाल में जीत का अंतर 2841 मतों का रहा।
वर्ष 2012 में पुनः बीजेपी से बिजया बड़थ्वाल को टिकट दिया और काग्रेस ने फिर चेहरा परिवर्तन कर सरोजिनी कैंतुरा को प्रत्याशी बनाया, लेकिन रेणू बिष्ट बागी होकर उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा से चुनाव लड़ा। रक्षा मोर्चा से चुनाव लड़कर उन्हें 8541 मत प्राप्त हुए और उस साल काग्रेंस बीजेपी में जीत का अंतर 3541 रहा। इस दृष्टि से यमकेश्वर में काग्रेंस को फिर सत्ता से दूर होना पड़ा। पुनः बिजया बड़थवाल यहॉ से बिजयी घोषित हुई।
वर्ष 2017 का चुनाव का बिगुल बजा, मोदी लहर में उत्तराखण्ड राजनीति गरमा गयी, और यमकेश्वर से बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खण्डूरी की बेटी ऋतु खण्डूरी को टिकट दिया और, वहीं काग्रेंस से फिर चेहरा परिवर्तन बीजेपी से कांग्रेस में आये पूर्व विधायक शैलेन्द्र रावत को यमकेश्वर के मैदान में उतार दिया। यहॉ भी रेणू बिष्ट ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और 10689 मत लेकर दूसरे स्थान पर रही जबकि शैलेन्द्र रावत को 10283 मत मिले। जबकि जीताऊ प्रत्याशी ऋतु खण्डूरी को 19671 मत मिले और जीत का अंतर 8982 रहा। 2017 में तीसरे नम्बर पर प्रशांत बडोनी को 2698 मत प्राप्त हुए। 2017 के चुनाव में कुल 46155 लोगें ने मतदान किया जिसमें 1573 डाक मत पत्र थे।
उक्त आंकड़ों को दृष्टिगत रखते हुए पिछले 2017 के अनुपात में 6000 हजार मतदता बढ गये हैं। इस बार मैदान में पॉच उम्मीदवार खड़े हैं, जिसमें बीजेपी से रेणू बिष्ट और काग्रेंस से शैलेन्द्र रावत और यूकेडी से शांति प्रसाद भट्ट और आप पार्टी से अविरल बिष्ट तथा समाजवादी पार्टी से बीरेन्द्र प्रसाद मैदान में है। इस बार यमकेश्वर से कोई वोट कटाउ उम्मीदवार मैदान में नहीं है, ऐसे में मुकाबला सीधा त्रिकोणीय हो गया है। इस बार बीजेपी काग्रेस में सीधा मुकाबला है, जबकि यूकेड़ी इन दोनों के बीच में अपना मत प्रतिशत को बढाने में सफल हो सकती है। यूकेड़ी का वोट बीजेपी के मतदाताओं में सेध मारता दिखाई दे रहा है। साथ ही इस बार कांग्रेस से बागी के मैदान में नहीं होने से काफी मजबूत स्थिति में आ गयी है। वहीं बीजेपी का कैडर वोटर आज भी यमकेश्वर में है। पिछले 2017 के मतदान स्थल के आंकड़ों को देखते हुए जहॉ निर्दलीय उम्मीदवार होने के बावजूद भी 10689 मत लाकर दूसरे नम्बर पर रहीं वही शैलेन्द्र रावत 10282 मत लाये और रेनू बिष्ट से 406 मतों से पीछे रहे। वहीं इस बार प्रशांत बडोनी जो कि शैलेन्द्र रावत के सहयोगी हैं, उन्हें पिछली बार 2698 मत मिले।
इस बार यमकेश्वर के चुनाव में आंकड़ों को देखते दोनों दलों में कॉटे की टक्क्र देखने को मिल रही है। जहॉ तक कैडर वोट देखा जाय तो दोनों पार्टियों का कैडर वोट लगभग बराबर है, जबकि शैलेन्द्र रावत पिछले 05 सालों में क्षेत्र में सक्रिय होने के कारण उनके व्यक्तिगत वोट में काफी इजाफा हुआ है। वहीं रेणू बिष्ट द्वारा पिछले 2017 के चुनाव के बाद क्षेत्र में सक्रिय नहीं होने के कारण उनके व्यक्तिगत मतों में 60 प्रतिशत के लगभग का अंतर क्षेत्रीय रिपोर्टस के अनुसार बताया जा रहा है। अभी तक के रूझानों में एक ओर जहॅा व्यक्तिगत मतों के हिसाब से शैलेन्द्र रावत आगे दिखाई दे रहे हैं, साथ में उनका कोई बागी नहीं होने से कैडर मतदाता का प्रतिशत बढता हुआ दिखाई दे रहा है। वहीं रेणू बिष्ट का कैडर वोट बढा है, लेकिन बीजेपी में अंदर खाने चलने वाली नाराजगी में इसका फायदा यूकेडी को इसका फायदा मिल सकता है। ऐसे में इस बार जहॉ पिछले चुनाव में जीत का अंतर 8982 रहा वह इस बार जीत का मार्जिन कम होने के आसार दिख रहे है। अभी तक के रूझानों में दोनों प्रत्याशियों में कॉटे की टक्क्र है, हालांकि इस बार बीजेपी के पास केन्द्र,के कार्य राष्ट्रवाद और धर्म के अलावा जनता के सामने कोई क्षेत्रीय मुद्दे गायब दिख रहे हैं, वहीं काग्रेस क्षेत्रीय मुद्दों पर विपक्ष को घैरता नजर आ रहा है, लेकिन काग्रेंस की तुष्टिकरण की नीति के कारण थोड़ा सा फर्क पड रहा है, लेकिन मतदाता इस बार मौन है, और जिस तरह से मौसम ठंडा हो चुका है, इस बार सभी प्रत्याशियों को अपने पक्ष में करने की बड़ी चुनौती सामने दिखाई दे रही है।
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