उत्तराखंड

पूर्व PM अटल बिहारी वाजपेयी की 97वीं जयंती पर जोगेंद्र पुंडीर ने कहा- राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा प्रेरणादायी

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भारत रत्न पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर कंबल वितरण, कैंट विधानसभा क्षेत्र में वरिष्ठ भाजपा नेता जोगेंद्र पुंडीर ने गरीबों के बीच बांटे कंबल

देहरादून । भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी की जयंती पर उन्हें याद कर उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया गया। कैंट विधानसभा क्षेत्र में वरिष्ठ भाजपा नेता जोगेंद्र पुंडीर ने पूर्व की जयंती को सुशासन दिवस के रूप में मनाते हुए जरूरतमंदो को कम्बल बांट वितरित किये। जोगेंद्र पुंडीर ने स्व बाजपेयी जी के देश के प्रति समर्पण और उनके कार्यो को याद दिलाते हुए कार्यक्रम में मौजूद जनता को सुशासन दिवस के बारे में बताया ।

आपको बता दें आज पूरा देश पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म दिन भी मना रहा है। वह तीन बार देश के प्रधानमंत्री होने के अलावा हिंदी कवि, पत्रकार और प्रखर वक्ता भी थे। वह जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे. अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म आज के ही दिन यानी 25 दिसंबर 1924 को जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम था कृष्ण बिहारी वाजपेयी. अटल उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के मूल निवासी थे। हालांकि उन्होंने अपनी शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज से ली जिसे अब लक्ष्मीबाई कॉलेज के नाम से जाना जाता है।

अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 1952 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा था। अटल जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे और 1968 से 1973 तक उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। बता दें कि उनका राजनीतिक करियर भी किसी रोलर कोस्टर से कम नहीं रहा है। तीन बार पीएम का पद संभालने वाले अटल सबसे पहले साल 1996 में पीएम के पद पर काबीज हुए। लेकिन संख्याबल नहीं होने के कारण यह सरकार महज 13 दिनों में गिर गई। इसके बाद उन्होंने साल 1998 में पीएम पद संभाला लेकिन एक बार फिर 13 दिन बाद ही उनकी सरकार गिर गई। इसके बाद उन्होंने साल 1999 में इस पद को एक बार फिर संभाला। उस वक्त 13 दलों की गठबंधन सरकार और वाजपेयी अपने कार्यकाल के पांच साल पूरा करने में सफल रहें।

वरिष्ठ भाजपा नेता जोगेंद्र पुंडीर ने अटल जी की स्मृतियों को नमन करते हुए कहा कि उनकी स्मृतियों के संदर्भ में इस प्रकार का आयोजन सराहनीय है। उन्होंने कहा कि अटल जी दलीय सीमाओं से ऊपर उठकर पक्ष और विपक्ष सभी की श्रद्धा और सम्मान के पात्र थे, उनका छह दशकों तक का लम्बा सार्वजनिक जीवन निष्कलंक रहा। पुंडीर ने कहा कि अटल जी जैसा विराट व्यक्तित्व कोई दूसरा नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि अटल जी का मानना था कि राजनीति मूल्यों और आदर्शों की होनी चाहिए और सिद्धांतविहीन राजनीति का स्थान सार्वजनिक जीवन में नहीं होना चाहिए। उन्होंने सार्वजनिक जीवन में कभी भी मूल्यों और आदर्शों से समझौता नहीं किया।



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