बिज़नेस

सरकार लाएगी डिजिटल रुपया, क्रिप्टो से आय पर तीस प्रतिशत टैक्स

[ad_1]

दिल्ली। वित्त बजट 2022-23 मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन में पेश किया. ढेरों घोषणाओं के बीच एक घोषणा यह भी की गई कि इस वित्त वर्ष में सरकार डिजिटल करेंसी यानी डिजिटल रुपया लेकर आएगी।
वित्त मंत्री सीतारमण ने इस संबंध में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से 2022-23 से ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करके ‘डिजिटल रुपया’ पेश करने का प्रस्ताव है।

उन्होंने कहा कि बैंक द्वारा डिजिटल रुपये की शुरूआत करने से रुपये का प्रबंधन सस्ता और आसान होगा. इससे भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इकॉनॉमिक्स टाइम्स के मुताबिक, ‘केंद्र सरकार ने बीते वर्ष लोकसभा को सूचित किया था कि आरबीआई केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) लाने की दिशा में काम कर रही है।साथ ही, सरकार ने कहा था कि आरबीआई ने अक्टूबर में इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधन की दिशा में एक प्रस्ताव पेश किया था। जिसमें बैंक नोट की परिभाषा के दायरे को बढ़ाकर उसमें डिजिटल मुद्रा को शामिल करने की बात थी।इस दौरान वित्त राज्य मंत्री ने सदन में डिजिटल मुद्रा के फायदे गिनाते हुए कहा था कि इसे लाने का मकसद नकदी पर निर्भरता को कम करना है, इससे मुद्रा के निर्माण और वितरण की लागत में कमी आएगी।

उन्होंने कहा था कि नई डिजिटल मुद्रा संभवत अधिक मजबूत, कुशल, विश्वसनीय, विनियमित और कानूनी निविदा-आधारित भुगतान विकल्प उपलब्ध कराएगी।सीबीडीसी, फिएट मुद्रा का एक डिजिटल संस्करण है जिसे ब्लॉकचेन-आधारित वॉलेट के माध्यम से एक्सचेंज किया जा सकता है और केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित किया जाता है।फिएट मुद्रा सरकार द्वारा जारी एक मुद्रा होती है. सीबीडीसी, बिटकॉइन जैसी ही मुद्रा है, बस अंतर इतना है कि इसे सरकार द्वारा क़ानूनी वैधता प्राप्त होती है।इसके साथ ही वित्त मंत्री ने बताया कि वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के मामले में लेन-देन में बढ़ोतरी के मद्देनज़र किसी भी वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के ट्रांसफर से होने वाली आय 30 फीसदी टैक्स रेट के दायरे में आएगी।

सूत्रों के अनुसार , वित्त मंत्री ने बताया कि एक्वीजीशन कॉस्ट (अधिग्रहण की लागत) को छोड़कर किसी अन्य खर्च पर कोई कटौती नहीं मिलेगी। डिजिटल एसेट्स के ट्रांसफर के दौरान किसी भी तरह का नुकसान, किसी अन्य आय के साथ सेटऑफ नहीं किया जा सकेगा।साथ ही वर्चुअल एसेट्स के ट्रांसफर में पेमेंट्स पर 1 फीसदी टीडीएस लगेगा, जो कि मॉनेटरी थ्रेसहोल्ड से अलग होगा. गिफ्ट के रूप में प्राप्त डिजिटल एसेट भी कर के दायरे में आएंगे, जहां इसे पानेवाले को टैक्स देना होगा।इस बीच, प्राइमस पार्टनर्स-डिजिटल करेंसी के प्रबंध निदेशक श्रवण शेट्टी ने कहा कि ब्लॉकचेन-आधारित डिजिटल मुद्रा से क्रिप्टोकरेंसी क्षेत्र में ‘सट्टेबाजी’ की गुंजाइश कम होगी। इससे अर्थव्यवस्था को डिजिटल मुद्रा का लाभ एक संरचनात्मक ढांचे में मिल सकेगा।

वहीं, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह सवाल भी उठाया है कि क्या सरकार ने ‘क्रिप्टोकरेंसी’ से होने वाली आय पर कर लगाकर ‘क्रिप्टोकरेंसी’ को बिना विधेयक लाए ही वैध करार दिया है?मालूम हो कि सरकार ने संसद के पिछले सत्र में ही क्रिप्टोकरेंसी पर एक विधेयक लाने की मंशा जताई थी। तब रिजर्व बैंक की तरफ से एक आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के गठन का ढांचा तैयार होने की बात कही गई थी। लेकिन मंत्रिमंडल में इस विधेयक के प्रारूप पर सहमति नहीं बन पाने से उसे संसद में नहीं रखा जा सका था।

गत नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रिप्टोकरेंसी के मुद्दे पर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की थी। उस बैठक से ऐसे संकेत मिले थे कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी के नियमन के लिए सख्त कदम उठा सकती है।हालांकि ध्यान देने वाली बात यह भी है कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास क्रिप्टोकरेंसी को अनुमति देने की सोच को कई बार खारिज कर चुके हैं। उनका कहना है कि यह डिजिटल मुद्रा किसी भी वित्तीय प्रणाली के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है।



[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *