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एयरलाइनों के लिए कोविड के छंटते-गहराते बादलों के बीच आशा-निराशा की उड़ान बना रहा वर्ष 2021

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नयी दिल्ली। भारत के नागर विमानन क्षेत्र के लिए वर्ष 2021 कोविड-19 संकट के छटते-गहराते बादलों के बीच आशा और निराशा की उड़ान बना रहा।
वर्ष के शुरू में कोविड-19 का असर कम होने पर सरकार ने घरेलू उड़ानों पर पाबंदी में ढ़ील दी जिससे इस क्षेत्र के लिए नयी आशाएं जगीं लेकिन वर्ष का मध्य नजदीक आते भारत में कोविड महामारी की दूसरी लहर से एयरलाइन उद्योग की राह में चिंता के गहन बादल छा गए।
साल की चौथी तिमाही में घरेलू मार्गों पर पूरी क्षमतानुसार बुकिंग की छूट मिल गयी थी और बुकिंग बढ़ गयी थी। ऐसे समय जब लग रहा था कि साल के आखिरी महीने दिसंबर,2021 में भारतीय नागर विमानन क्षेत्र में यात्रियों की संख्या कोविड-19 पहले के 85-90 प्रतिशत के ऊपर पहुंच सकती है, कोविड के नए रूप ओमिक्रॉन ने इस क्षेत्र के क्षितिज पर आशंकाओं के बादल एक बार फिर उत्पन्न कर दिए हैं।
नया वर्ष 2022 एयरलाइन उद्योग के लिए कैसा होगा, यह निर्भर करेंगा कि ओमीक्रॉन क्या नया रूप लेता है।
ओमिक्रॉन के कारण नियमित अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू होने की उम्मीद जग कर अभी फिर शांत हो गयी है।

मार्च 2020 में कोविड की पहली लहर शुरू होते ही देश में उड़ानों पर रोक लगा दी गई थी। मई में लाइनों को उड़ान फिर शुरू करने की अनुमति मिली पर उन्हें अधिक से अधिक एक तिहाई सीट भरने की छूट दी गई।
कोविड का प्रकोप कम होने पर सरकार ने 2021 में एयरलाइनों पर पाबंदी में और ढ़ील देनी शुरू कर दी थी लेकिन मई में दूसरी आने के साथ पूरी योजना अस्त-व्यस्त हो गयी।
सरकार दूसरी लहर के ठंडा होने के बाद 18 अक्टूबर से घरेलू उड़ाना का पूरी क्षमता से परिचालन शुरू करने की छूट दी। इससे एयरलाइन उद्योग में आत्मविश्वास बढ़ा।
कोविड टीकाकरण बढऩे और वैश्विक स्तर पर पाबंदियों में ढील के बार भारत सरकार ने उसके बाद 15 दिसंबर से नियमित अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की छूट छोड़ देने की घोषणा की थी, लेकिन कोविड-19 रूप ओमिक्रॉन के कारण विदेशी उड़ानों के संकेत हटा लिए गए।
वर्ष के दौरान सरकारी क्षेत्र की एयरलाइन एयर इंडिया के निजीकरण का करार एक बड़ी घटना रहा। सरकार ने एयर इंडिया और उसकी अनुषंगी इकाइयों के लिए खुली निविदा में टाटा समूह की बोली को स्वीकार किया। गत 25 अक्टूबर को 18,000 करोड़ रुपये में एयर इंडिया की बिक्री के लिए टाटा संस के साथ सरकार का खरीद समझौता हो चुका है।
एयर इंडिया के साथ उसकी सस्ती विमान सेवा एयर इंडिया की भी सौ फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री की जाएगी. साथ ही उसकी ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी एआईएसएटीएस की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी टाटा ग्रुप को दी गयी है।
इस तरह यह एयर इंडिया के लिए एक चक्र पूरा होने जैसा है। यह एयरलाइन 1930 के दशक में टाटा समूह की कोख में पैदा हुई थी और अब पुन: उसकी गोद में जा रही है। उम्मीद है कि नए वर्ष 2022 के शुरू में एयरइंडिया का परिचालन विधिवत टाटा समूह के हाथ में पहुंच जाएगा।
इस अधिग्रहण से नागर विमानन बाजार में टाटा की स्थिति मजबूत होगी जो दो एयरलाइनों- ‘विस्तार’ और ‘एयरएशिया’ के साथ बाजार में पहले से मौजूद है।
चुनौतियां जो भी हो पर भारत में एयरलाइनों के लिए आसमान में बड़ी उम्मीदें छुपी हैं। जाने-माने निवेशक राकेश झुनझुनवाला ने भी आकाश एयर के साथ इस क्षेत्र में कदम रखने की घोषणा कर संभावित परिदृश्य को रोचक बना दिया है।

झुनझुनवाला की योजना चार साल में 70 विमानों का बेड़ा खड़ा करने की है। अटकलें हैं कि वह अगले साल गर्मियों तक बाजार में उतर सकते हैं।
वर्ष 2019 से दिवालिया हालत में बंद पड़ी जेट एयरवेज के नए खरीदार कलरॉक कैपिटल (ब्रिटेन) और और संयुक्त अरब अमीरात के कारोबारी मुरारी लाल जालान भी इसे फिर इसके डैनों पर उड़ाने की तैयारी में हैं।
सेंटर फॉर एशिया पैसिफिक एविएशन (कापा) के मुख्य कार्यकारी (भारतीय उपमाद्वीप) कपिल कौल ने कहा, कापा इंडिया का अनुमान है भारत के घरेलू विमानन क्षेत्र की स्थिति वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में और अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र की वर्ष 2023-24 में सुधरेगी। इस आकलन में ओमीक्रॉन का के प्रतिकूल असर पर विचार नहीं किया गया है। हमें नहीं लगता कि 2022-23 में घरेलू इकायां लाभ की स्थिति में लौटेंगी।
उन्होंने कहा कि भारत के विमानन क्षेत्र में आगे और भी विलय-अधिग्रहण होने अपरिहार्य हैं।



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